क्लोन एप बनाकर कर रहे ठगी, गायब हो जाती है लिंक

इंदौर Clone App Indore। आनलाइन शापिंग, बैंकिंग का क्रेज बढ़ने के साथ-साथ आनलाइन ठगी के मामले भी बढ़ रहे हैं। ठग भी लोगों को ऑनलाइन खरीदारी की सुविधा देने वाली कंपनियों के एप का क्लोन बनाकर ठगी कर रहे हैं। राज्य साइबर सेल के पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र सिंह ने ठगी के नए तरीकों के बारे में बताया कि इस तरह की ठगी के मामले लगातार आ रहे हैं। अब तक इस तरीके का उपयोग कर एक दर्जन से ज्यादा शिकायतें साइबर सेल ने दर्ज की हैं। वहीं अन्य तरीकों से ठगी के जनवरी से अब तक 350 मामले सामने आ चुके हैं।

समझें ऑनलाइन ठगी का नया तरीका और कैसे बचें

एसपी जितेन्द्र सिंह के बताया कि ठगी करने वाले लोग किसी भी वेबसाइट के नाम से मिलती-जुलती एक दूसरी साइट बना देते हैं। इस पर क्लिक करने पर यह बिल्कुल असली साइट के जैसी ही दिखती है। हालांकि, असली साइट से इसका कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। ऐसी वेबसाइट बनाने के बाद ठग गूगल एडवर्ड्स पर डाल कर इन्हें ट्रेंड करा देते हैं। ऐसा करने पर ये साइट्स सर्च इंजन में सबसे ऊपर दिखाई देती हैं। इन साइट्स पर काफी कम कीमत में सामान व आफर दिए जाते हैं। जिससे ग्राहक प्रभावित होते हैं और सस्ते के चक्कर में आनलाइन पेमेंट कर देते हैं।

ग्राहकों से पेमेंट लेने के बाद ये लिंक डिएक्टिवेट हो जाते हैं। साथ ही इन वेबसाइट पर दिए कस्टमर केयर नंबर पर फोन किया जाता है तो फोन पर मौजूद लोग ठगी के उद्देश्य से बैठे होते हैं। ये एनी डेस्क व अन्य हैकिंग एप डाउनलोड करा देते हैं और इसके उनके मोबाइल व कम्प्यूटर का कंट्रोल ठग के पास चला जाता है। जो भी गतिविधि आप करते हैं वह उन्हें अपने कम्प्यूटर पर दिखाई देती हैं। यहां तक कि ठग को ओटीपी मांगने की भी जरूरत नहीं पड़ती।

Source ¦¦विपिन अवस्थी, इंदौर

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