भारत की ज्ञान परम्परा समाधान परक – कुलपति प्रो. केजी सुरेश,
युवा शिक्षित होगा तो देश तरक्की करेगा -कुलपति डॉ. संजय तिवारी,
वीर वही कहलाता है जो क्षमता से अधिक कार्य करे – डॉ. शिवकुमार शर्मा
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में शोधवीर सम्मान शिविर सम्पन्न,
………………………….
भोपाल – भारतीय शिक्षण मंडल-युवा आयाम मध्यभारत प्रांत द्वारा आयोजित शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता का समापन गुरुवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में हो गया। शोधवीर सम्मान कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की। मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी थे, जबकि मुख्य वक्ता के रुप में भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत मंत्री डॉ. शिवकुमार शर्मा उपस्थित थे।
शोधवीर सम्मान शिविर की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने भारतीय ज्ञान परम्परा की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारी ज्ञान परम्परा सवाल केंद्रित नहीं बल्कि समाधान परक रही है । उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि शोध के लिए डेटा एकत्रित करें और इसके आधार पर समाधानात्मक निष्कर्ष पर पहुंचें । प्रो. सुरेश ने कहा कि शोध के लिए गूगल पर निर्भर नहीं रहें। रिसर्च और गूगल रिसर्च में फर्क को समझाते हुए प्रो. सुरेश ने विद्यार्थियों से कहा कि शोध के लिए शोध संस्थाओं, पुस्तकालय एवं नेशनल आर्काइव में जाएं । उन्होंने शोधार्थियों से कहा कि जब हम अध्ययन करें, शोध करें तो हमें सबसे पहले ये सोचना और विचार करना चाहिए कि इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा ।
मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. संजय तिवारी ने शिक्षा को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जब तक हमारा युवा शिक्षित नहीं होगा तब तक कुछ नहीं हो सकता। ज्ञान और युवा शक्ति के संयोजन से ही भारत का नवनिर्माण संभव हो सकेगा । डॉ. तिवारी ने स्वामी विवेकानंद एवं सुभाषचंद्र बोस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सुभाष चंद बोस की मृत्यु के रहस्य पर ही ठहर गए हैं, जबकि उनके विजन पर ध्यान नहीं दिया गया, जो कि अमूल्य और सार्थक है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि इस विषय पर अब और जानने की आवश्यकता है ।
भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत मंत्री एवं मुख्य वक्ता डॉ. शिवकुमार शर्मा ने भारतीय ज्ञान, विज्ञान परंपरा एवं सामाजिक सहयोग को रेखांकित करते कहा कि भारत ने कोरोना की वैक्सीन आत्मनिर्भरता हासिल की और अन्य देशों को मदद पहुंचाई, यह गर्व की बात है। उन्होंने विद्यार्थियों को राष्ट्र निर्माण के लिए समय दान करने की मांग करते हुए कहा कि वीर वही कहलाता है जो क्षमता से अधिक कार्य करे । श्री शर्मा ने कहा कि भारत पुण्य की भूमि है और आपको बौद्धिक योद्धा बनना है ।
कार्यक्रम के अंत में प्रांत भर से आए सभी शोधार्थी प्रतिभागियों को पुरुस्कार प्रदान किए गए।