गर्मियों की छुट्टियों में आपका बच्चा हुनर सीख बन सकता है। साइंटिस्ट

रिपोर्ट : अजय मालवीय

स्कूलों में 1 मई से 15 जून तक शैक्षणिक अवकाश घोषित होने के बाद गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो रही है। बच्चें घर पर रहकर क्या करें। पालकों ने चर्चा के दौरान बताया कि बच्चे दिनभर टीवी में कार्टून, वीडियो गेम्स या मोबाइल पर यूट्यूब वीडियो, देखते रहते है।
और बच्चों से चर्चा की तो जानकारी में बताया कि गर्मी की छुट्टियों में बाहर गर्मी होती है। क्रिकेट, फुटबाल, आउटडोर गेम्स नहीं खेल पाते है। हम क्या करें? गर्मियों की छुट्टियों को कैसे बनाए मनोरंजक?

बच्चों को मोबाइल एवं टीवी से कैसे रखें दूर!

रिसर्च में बताया गया है कि मोबाइल या टीवी 1 दिन में एक घंटे से ज्यादा देखनें पर निष्क्रियता, डिप्रेशन,अवसाद,अनिद्रा,चिड़चिड़ापन, जिद्दीपन, नकारात्मक विचार, पढ़ाई में मन न लगना, सिर दर्द, भूख में कमी, आखों की रोशनी कम होना, जलन, धुंधलापन, आंखों में दर्द, अकेलापन जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती है। टीवी, मोबाइल पर अधिक समय देने से बच्चों में सामाजिक संपर्क कौशल में कमी, नए लोगों से बातचीत न कर पाना, अकेला रहना, हिंसक एवं आक्रामक प्रवृति, असंतुष्टि से बच्चे पहले से अधिक डिमांड करने वाले जिद्दी हो जाते है। जिससे उनके स्वास्थ्य और मानसिक विकास पर काफी फर्क पड़ता है।

गर्मियों की छुट्टियों में अपने बच्चों को बनाए क्रिएटिव!

अपने बच्चो को मनोरंजक, संस्कृति, राष्ट्रभक्ति, ज्ञानवर्धक, सामान्य ज्ञान, महापुरुषों की जीवनी, धार्मिक सनातन संस्कृति, विज्ञान एवं रिसर्च की किताब को पड़ने की आदत बनाए साथ ही स्कूल के कार्यों का घर में कराएं अभ्यास एवं बोलकर पढ़ने और मित्रों के साथ समूह में पढ़ाई करवाए।

बच्चों को आर्ट एवं क्रॉफ्ट का सिखाए हुनर।

बच्चों में क्रिएटिविटी को डेवलप करने के लिए उन्हें पेंटिंग, ड्राइंग, पेपर क्रॉफ्ट वर्क, साइंस मॉडल वेस्ट मेटेरियल से गुड्स प्रोडक्ट बनाना सिखाए। जिससे बच्चे क्रिएटिव बन सकें।

पर्यावरण, प्रकृति को संजोने का सिखाए हुनर!

बच्चों में प्रकृति, पर्यावरण एवं पशु पक्षियों के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने के लिए पेड़ पौधे लगवाना, पौधों की देखभाल करना, पक्षियों को पानी पीने के सकोरे बनाना एवं उनकी सुरक्षा करना सिखाए।

सामजिक लोगों से मेलमिलाप!

नए मेहमान से बातें करना, शिष्टाचार, अपने से बड़ों का सम्मान, आदर, अनुशासन एवं लोगों के समूह में रहने की आदत बनाए, साथ ही धार्मिक स्थल मंदिर, धार्मिक कार्यक्रमों, जुलूस आदि में शामिल होने के लिए प्रेरित करें, जिससे उनके सामाजिक नेतृत्व का विकास हो सके।

बच्चो को सिखाएं संगीत एवं डांस का हुनर।

बासुंरी, तबला, गिटार, हारमोनियम, शास्त्रीय संगीत, गायन या अन्य बाध्ययंत्र जो उनको पसंद हो सिखाए जिससे गर्मी की छुट्टियों को मनोरंजक बनाने के साथ साथ उनमें नए कौशल का विकास हो।

कंप्यूटर कोर्स सीखकर अपनी स्किल्स को बड़ा सकते है।

बच्चों को गर्मियों की छुट्टी में कंप्यूटर तकनीकी पर शॉर्ट टर्म के कोर्स करने चाहिए। जिससे बच्चों में तकनीकी ज्ञान के साथ साथ कंप्यूटर स्किल्स उनके भविष्य में काम आए।
इसके लिए नगर की एक्सेल कंप्यूटर  संस्था की कंप्यूटर टीचर रेखा मैडम ने जानकारी दी इसके लिए बच्चें यह शार्टटर्म कोर्स कर सकते है।

1 एम.एस.ऑफिस कोर्स दो माह
2.डीटीपी ग्राफिक्स डिजाइन तीन माह
3.फोटोशॉप एडिटिंग कोर्स तीन माह
4. टैली अकाउंटिंग कोर्स तीन माह

5. वेबसाइट डिजाइन, कोडिंग, मोबाइल एप्स
6. डिजीटल मार्केटिंग, साइबर सिक्योरिटी
7. 12 वी परीक्षा पास के बाद डीसीए एवं स्नातक के बाद कंप्यूटर पीजीडीसीए कोर्स कर सकते है।
जिसे बच्चे रोजाना 1 घंटे का समय देकर अपनी स्किल्स को बड़ा भी सकते है। वर्तमान डिजिटल युग है उनके भविष्य में रोजगार एवं स्वरोजगार में सहायता मिलेगी।

योग या व्यायाम सीख कर अपने को स्वस्थ रख सकते है।
बच्चों को योगा एवं व्यायाम के महत्व को समझाए इसके लिए योग शिक्षक अरविंद विजयवर्गीय ने बताया कि योग एवं सूर्य नमस्कार करने से शरीर और मन स्वस्थ रहता है। योग करने से शरीर निरोग रहकर दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है।

संचार, वेब मीडिया एवं पत्रकारिता में भी बना सकते है अपना भविष्य।

वेब मीडिया जर्नलिस्ट अजय मालवीय ने बताया कि बच्चों को पत्रकारिता एवं वेव मिडिया के क्षेत्र में भी वे अपना कौशल उन्नयन कर सकते है। बच्चों को कंटेंट राइटिंग, स्टोरी राइटिंग, न्यूज रिपोर्टिंग, न्यूज एंकरिंग, हिस्टोरिकल न्यूज, पॉलिटिकल न्यूज अनालासिस में अपना भविष्य बना सकते है।

क्रिएटिविटी एवं नवाचार पर करें बच्चों से चर्चा।

बच्चों के मन में दिन भर नवीन विचार, नए प्रश्नों को जानने की जिज्ञासा रहती है। उनके साथ प्रश्नोत्तरी जैसी प्रतियोगिता में उनको भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। जिससे वे जिज्ञासु बन सकें। बच्चों में रोजगार एवं स्वरोजगार में अंतर एवं उससे संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाए एवं नए स्टार्टअप को कैसे चालू कर सकते है। उसका प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन, इन्वेस्टमेंट और एक्सपेंस में अंतर बताकर उनमें मैनेजमेंट स्किल्स को डेवलप करें।

बच्चों को सर्च, रिसर्च और गूगल सर्च में अंतर बताए।

आजकल बच्चें छोटी छोटी सी बाते भी गूगल पर सर्च करते है। और डिजीटल ज्ञान को अधिक महत्व देते है। इसके साथ ही यदि बच्चे स्वयं अपने अनुभवों से किसी प्रश्न को सर्च कर सीखते है तो उनके बौद्धिक विकास में वृद्धि होगी।
अब यदि बच्चें किसी जानकारी को अपने अनुभव से खोजते हैं उसमे नवाचार या नयापन होता है तो उनके इस नए आइडिया पर वह रिसर्च करता है तो बच्चा अनुसंधान के क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकता है।

पालकों को चाहिए कि अपने बच्चों के मन की बात को सुने, समझें, और जानें कि बच्चों का इंट्रेस्ट किस क्षेत्र में है। वह क्या करना चाहता है। जिससे उसकी क्षमता को सही दिशा एवं सही गति प्रदान करने का प्रयास करें।

गर्मियों की छुट्टियों में आपका बच्चा भी बन सकता है। साइंटिस्ट

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