न्याय प्रणाली में ऑनलाइन डिजिटलीकरण का समावेश! देश में अमल 3 नए कानून

न्याय प्रणाली में ऑनलाइन डिजिटलीकरण का समावेश! थाना ओबेदुल्लागंज में नए कानून अमल पर कार्यशाला एवं जागरूकता रैली!

IPC की धाराओं की जगह होंगी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) धाराएं!

सोमवार से देश में तीन नए कानून अमल में लाए जाएंगे। जिसमे IPC की धाराओं की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में  धाराएं होंगी। देश की कानून और न्याय व्यवस्था के लिए 1 जुलाई इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाली तारीख है। इसके संबंध में आज थाना ओबेदुल्लागंज में एसडीओपी मैडम और थाना प्रभारी के निर्देशन में कानून की धाराओं में हुए बदलाव के संबंध में जनता को जागरूक करने के लिए थाना ओबेदुल्लागंज में प्रौद्योगिकी आkधारित प्रोजेक्टर एवं स्क्रीन लगाकर कानून संबंधित जानकारी दी गई। एवं नागरिकों से ने कानून संबंधित प्रश्नों को भी सुना एवं नए कानून में होने वाले बदलावों से जागरूक किया। वहीं  एसडीओपी मैडम ने संदेश देते हुए बताया कि 1 जुलाई से तीन नए कानून अमल में आ रहे हैं। IPC की धाराओं की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में 358 धाराएं होंगी। देश की कानून और न्याय व्यवस्था के लिए 1 जुलाई इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाली तारीख है।

रैली निकाल कर किया जनता को किया जागरूक
नए कानून अमल करने एवम जागरूक करने के लिए नगर में जागरूकता रैली निकाली गई रैली में थाना प्रांगण ओबेदुल्लागंज से सीताराम चौराहे तक एसडीओपी श्रीमती शीला सुराना, थाना प्रभारी भरत प्रताप सिंह, स्थानीय पुलिस, समाजसेवी, समस्त पत्रकार बंधु एवं नागरीकगण उपस्थित रहे।

क्या है नए परिवर्तन? आपराधिक कानून

  • आईपीसी में धाराओं की संख्या 511 से घटाकर बीएनएस में 358 कर दी गई
  • 20 नये अपराध जोडे गए
  • कई अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है
  • 6 छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है
  • कई अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है
  • कई अपराधों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है।

कुछ विशेषताएं

  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को एक अध्याय में समेकित किया गया है।
  • धारा 69: झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है
  • धारा 70(2): सामूहिक बलात्कार की सजा में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) मुख्य परिवर्तन

  • सीआरपीसी में धाराओं की संख्या 484 से बढ़ाकर बीएनएसएस में 531 की गई।
  • 177 धाराओं को प्रतिस्थापित किया गया।
  • 9 नई धाराएं जोडी गई।
  • 14 धाराएं निरस्त की गईं।
    कुछ विशेषताएं
  • जांच में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा
  • मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्मानों में वृद्धि की गई है।
  • FIR प्रक्रियाओं और पीड़ितों की सुरक्षा को सुव्यवस्थित करना।
  • धारा 173: जीरो FIR और e-FIR का प्रावधान किया गया है।
  • धारा 176 (1) (ख): यह कानून ऑडियो-वीडियो के माध्यम से पीड़ित को बयान रिकॉर्डिंग का अधिकार देता है।

न्याय प्रणाली में ऑनलाइन डिजिटलीकरण का समावेश

  • आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी चरणों का व्यापक डिजिटलीकरण किया गया। इसमें ई-रिकॉर्ड, जीरो-FIR, e-FIR, समन, नोटिस, दस्तावेज प्रस्तुत करना और ट्रायल शामिल हैं। (धारा 173 बीएनएसएस)।
  • पीड़ितों के इलेक्ट्रॉनिक बयान के लिए ई-बयान तथा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाहों, अभियुक्तों, विशेषज्ञों और पीड़ितों की उपस्थिति के लिए e-Appearance की शुरूआत की गई। (धारा 530 बीएनएसएस)
  • ‘दस्तावेजों’ की परिभाषा में सर्वर लॉग, स्थान संबंधी साक्ष्य और डिजिटल वॉयस संदेश शामिल होंगे। साक्ष्य का कानून अब इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को अदालतों में भौतिक साक्ष्य के बराबर मानता है।
  • कानून के तहत द्वितीयक साक्ष्य का दायरा व्यापक हो गया है जिसमें मौखिक स्वीकारोक्ति, लिखित स्वीकारोक्ति और दस्तावेज की जांच करने वाले कुशल व्यक्ति का साक्ष्य शामिल है।
  • तलाशी और जब्ती की वीडियोग्राफी के लिए प्रक्रियाएं शुरू की गईं, जिसमें जब्त वस्तुओं की सूची और गवाहों के हस्ताक्षर तैयार करना शामिल है।

अपराध एवं दंड को पुनर्परिभाषित किया गया

  • छीनाझपटी एक संज्ञेय, गैर-जमानती  गैर-शमनीय अपराध है।
  • ‘आतंकवादी कृत्य’ की परिभाषाः इसमें ऐसे कृत्य शामिल हैं जो भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं या किसी समूह में आतंक फैलाते हैं।
  • ‘राजद्रोह’ में परिवर्तनः राजद्रोह’ के अपराध को समाप्त कर दिया गया है तथा भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को दंडित करने के लिए ‘देशद्रोह’ शब्द का प्रयोग किया है।
  • ‘मॉब लिचिंग’ को एक ऐसे अपराध के रूप में शामिल किया गया जिसके लिए अधिकतम सजा मृत्युदंड है।
  • संगठित अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (BSA) मुख्य परिवर्तन

  • आईईए में धाराओं की संख्या 167 से बढ़ाकर बीएसए 170 की गई।
  • 24 धाराएं बदली गई
  • 2 नई धाराएं जोड़ी गई
  • 6 धाराएं निरस्त की गईं
    कुछ विशेषताएं
  • इलेक्ट्रॉनिक/डिजिटल रिकॉर्ड को साक्ष्य के रूप में मान्यता देता है
  • डिजिटल साक्ष्य प्रामाणिकता के लिए रूपरेखा प्रदान करता है
  • धारा 2 (1) (घ): दस्तावेजों की विस्तारित परिभाषा
  • धारा 61: डिजिटल रिकॉर्ड की स्वीकार्यता में समानता दी गई है
  • धारा 62 और 63: इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की स्वीकार्यता दी गई है

समय पर और शीघ्र मिलेगा न्याय

  • समयावधि के लिए बीएनएसएस में 45 धाराओं को जोड़ा गया है।
  • आरोप पर पहली सुनवाई के प्रारंभ से 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।
  • आरोप तय होने की तारीख से 90 दिन पूरे होने के बाद घोषित अपराधियों के खिलाफ अनुपस्थिति में अभियोजन की कार्यवाही शुरू होनी चाहिए।
  • अभियोजन के लिए मंजूरी, दस्तावेजों की आपूर्ति, प्रतिबद्ध कार्यवाही, निर्वहन याचिकाओं को दाखिल करना, आरोप तय करना, निर्णय की घोषणा और दया याचिकाओं को दाखिल करना निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा करना अनिवार्य किया गया है।
  • आपराधिक कार्यवाही में दो से अधिक स्थगन देने की अनुमति नहीं है।
    समन जारी करने और उसकी तामील करने तथा न्यायालय के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग।

पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता

  • तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य है।
  • कोई भी गिरफ्तारी, ऐसे अपराध के मामलों में जो तीन वर्ष से कम के कारावास से दण्डनीय है और ऐसा व्यक्ति जो गंभीर बीमारी से पीड़ित है या 60 वर्ष से अधिक की आयु का है, ऐसे अधिकारी, जो पुलिस उप-अधीक्षक से नीचे की पंक्ति का न हो, की पूर्व अनुमति के बिना नहीं की जाएगी।
  • गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती और जांच में पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने के लिए 20 से अधिक धाराएं शामिल की गई हैं।
  • असंज्ञेय मामलों में, ऐसे सभी मामलों की दैनिक डायरी रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को पाक्षिक रूप से भेजी जाएगी।

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध कानून

  • नए आपराधिक कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए 37 धाराएं शामिल है।
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को पीड़ित और अपराधी दोनों के संदर्भ में लिंग तटस्थ बनाया गया है।
  • 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
  • झूठे वादे या छद्म पहचान के आधार पर यौन शोषण करना अब आपराधिक कृत्य माना जाएगा।
  • चिकित्सकों को बलात्कार से पीड़ित महिला की मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर जांच अधिकारी को भेजने का आदेश दिया गया है।

पीड़ित-केन्द्रित दृष्टिकोण

  • यह पीड़ित को आपराधिक कार्यवाही में एक हितधारक के रूप में मान्यता देता है तथा उसे मुकदमा वापस लेने से पूर्व सुने जाने का अधिकार प्रदान करता है।
  • पीड़ित को FIR की एक प्रति प्राप्त करने तथा उसे 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के बारे में सूचित किए जाने का अधिकार है।
  • गवाहों को धमकियों और भय से बचाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, गवाह संरक्षण योजना की शुरूआत की गई।
  • बलात्कार पीड़िता का बयान केवल महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा और उसकी अनुपस्थिति में किसी महिला की उपस्थिति में पुरुष न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा।

NCRB मोबाइल ऐप ‘NCRB आपराधिक कानूनों का संकलन’

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