बीमारी से डरें इनैक्टिवेटेड जेई वैव्सीन (जीव) टीके से नहीं..
प्रमुख खंड चिकित्सा अधिकारी विकासखंड औबेदुल्लागंज कार्यालय में पत्रकार वार्ता की गई जिसमें पत्रकारों से प्रमुख खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ अमृता जीवने औबेदुल्लागंज की अध्यक्षता में जेईई अभियान के बारे में चर्चा की गई जिसमें बीईई श्री हरिओम यादव, बी.पी.एम. डॉक्टर उबैश शरीफ, बीसीएम जेपी राजपूत द्वारा जेईई बीमारी के संबंध में विस्तार से बताया की यह फ्लेविवायरस के कारण होने वाली एक बीमारी है, जो मस्तिष्क के आसपास की झिल्लियों को प्रभावित करती है। जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) भी भारत में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) का एक प्रमुख कारण है। जापानी बुखार (जापानी इंसेफेलाइटिस) विगत कई वर्षों से कई देशों में पाया गया। जिसमें 1 से 15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों में इस बीमारी के कारण 18% मृत्यु दर पाई गई। इस आयु वर्ग में बच्चों को जापानी बुखार से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाना है।
“बीमारी से डरें वैक्सीन से नहीं” टीकाकरण अभियान
विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशन में भारत सरकार के सहयोग से मध्यप्रदेश शासन स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह अभियान फिलहाल प्रदेश के 2 जिले रायसेन एवं विदिशा जिले में दिनांक 10 अप्रैल 2023 से 16 अप्रैल 2023 तक तथा दिनांक 17 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक व्यापक स्तर पर प्रथम चरण में आंगनबाड़ी केंद्रों में अनुमानित 25000 बच्चों को वैक्सीन लगाया जाने का लक्ष्य है। और द्वितीय चरण में कक्षा 1 से 8 तक के सभी बच्चों को सभी स्कूलों में जेईई वैक्सीन के टीके लगाकर बीमारी से सुरक्षा प्रदान की जावेगी इस कार्य हेतु ब्लॉक ओबेदुल्लागंज में 48 टीमें बनाई गई है। जिसमें सीएचओ, ए एन एस आगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा आशा कार्यकर्ता शामिल रहेंगे।
डॉक्टर जीवने मैडम द्वारा बताया गया कि इस अभियान को सफल बनाने हेतु अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) महोदय के निर्देशन में अंतर विभागीय समन्वय स्थापित कर तथा पत्रकार बंधुओं एवं माननीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग लेकर बच्चों की इस बीमारी से रक्षा हेतु व्यापक प्रचार प्रसार कर टीका लगवाने में सहयोग करने की अपील की गई है। और कहां गया है “बीमारी से डरें वैक्सीन से नहीं” सभी अधिक से अधिक संख्या में वैक्सीन लगवाए यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और लाभदायक है। शासकीय अस्पताल में मंगलवार शुक्रवार और शासकीय अवकाश के दिन जीईई वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। बाकी दिन शासकीय अस्पताल में वैक्सीनेशन कार्य चालू रहेगा।
मच्छरों के काटने से होती हैं बीमारियां
बरसात के दिनों में मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां तेज़ी से फैलती हैं। इनमें डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और ज़ीका वायरस प्रमुख हैं। जबकि इस मौसम में जापानी बुखार भी दस्तक देता है। जापानी बुखार फ्लेविवायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। यह एक संक्रमण बुखार है, जिसमें मरीज को तेज बुखार आता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार आमतौर पर जापानी बुखार ग्रामीण इलाकों में अधिक होता है।
यह रोग क्यूलेक्स प्रजाति के संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है। ये मच्छर मुख्य रूप से चावल के खेतों और जलीय वनस्पतियों से भरपूर बड़े जल निकायों में प्रजनन करते हैं। समुदाय में सुअरों के साथ प्रवासी पक्षी भी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस के संचरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
क्या है? जापानी बुखार
जापानी इंसेफेलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है। ये मच्छर फ्लेविवायरस संक्रमित होते हैं। यह संक्रामक बुखार नहीं है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। विशेषज्ञों की मानें तो जापान इंसेफेलाइटिस पूर्वांचल भारत में अधिक होता है। इस बुखार का पता मच्छर के काटने के 5 से 15 दिनों में दिखाई देता है।
बीमारी के लक्षण:
जेई (JE) से संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण नहीं दिखाई देते हैं या केवल हल्के लक्षण होते हैं। हालाँकि संक्रमित लोगों के एक छोटे प्रतिशत में मस्तिष्क की सूजन (इंसेफेलाइटिस) की समस्या देखी जाती है।
तेज बुखार , अचानक सिरदर्द, उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव, न्यूरोलॉजिकल लक्षण, कमजोरी, मूवमेंट डिसऑर्डर, दौरे (बच्चों में), जिसमे कोमा में जाना, कंपकंपी और आक्षेप जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
जापानी बुखार के उपचार
डॉक्टर अमृता जीवने (सीबीएमओ) प्रमुख खंड चिकत्सा अधिकारी, ओबेदुल्लागंज ने बताया कि जापानी बुख़ार से पीड़ित मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है। जबकि मरीज को ऑक्सीज़न मास्क भी दिया जाता है, क्योंकि कई बार मरीज को सांस लेने में भी तकलीफ होती है। जापानी बुखार का वैक्सीन उपलब्ध है। मरीज की हालत गंभीर होने पर टीका दिया जाता है। इस बुखार से बचने के लिए बरसात के दिनों में पूरे शरीर को ढककर रखें। जबकि रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
इनैक्टिवेटेड जेई वैक्सीन (JEEV) टीका
जापानी बुखार का वैक्सीन उपलब्ध है। इनैक्टिवेटेड जेई वैक्सीन (JEEV) टीका लगाया जाएगा।
5 से 15 वर्ष के बच्चों को यह टीका, बाएं हाथ (हैंड) में या दाएं पैर की जांघ(थाई) पर 0.5 एमएल का डोज विशेषज्ञों के निर्देशन में टीकाकरण किया जाएगा।