ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
कलार समाज की वेबसाईट बनाने का लिया निर्णय डिजीटल युग में ऑनलाइन होने के लिए कलार समाज का भी इतिहास, वर्णन, मंदिर की जानकारी, कलार समाज का डिजिटल डाटाबेस, युवक युवती का परिचय, सभी ऑनलाइन किया जा रहा है !
ओबैदुल्लागंज – नगर मे कलार समाज ने भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन जी की जयंती जायसवाल मैरिज गार्डन में मनाई गई! कार्यक्रम की शरुआत भगवान् सहस्त्रबाहु अर्जुन जी की पूजा -अर्चना, महा-आरती , एवं प्रसाद वितरण के साथ किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित कलार समाज के सभी वरिष्ठजनों को पुष्प श्रीफल, शाल, चरण वंदन कर सम्मानित किया गया, समाज के मेघावी छात्र – छात्राओं को शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे कार्यो के लिए शील्ड एवं मेडील द्वारा प्रोत्साहित किया गया ! भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन जी की जयंती पर समाज बंधू श्री शंकरलाल जी राय पूर्व बैंकर, अधिवक्ता भोपाल, श्री ओ.पी. चोकसे, श्री प्रकाश राय जी, श्री अशोक शिवहरे, श्री प्रदीप राय, एवं कलार समाज की महिला शक्ति श्रीमती लक्ष्मी- सोनू चौकसे, नगर पालिका अध्यक्ष, प्रीती – ब्रजेश चौकसे, जनपद अध्यक्ष, राधा मालवीय , माया मालवीय, निशा राय, महिला मंडल ने मंच को गोरवान्वित किया !
कलार समाज की बनेगी डिजिटल वेबसाइट…
कार्यक्रम का मंच संचालन अजय मालवीय ने किया कार्यक्रम को सफल बनाने श्री नवल किशोर मालवीय, श्री ओमप्रकाश मालवीय, श्री वंशीलाल जायसवाल, श्री राजकुमार मालवीय, श्री सुन्दरलाल जी राय, श्री सोनू चौकसे, श्री कमल मालवीय, श्री श्याम मालवीय, श्री कपिल राय, श्री शैलेन्द्र राय, श्री विक्रांत राय, एवं समस्त कलार समाज के सम्मानीय बन्धु की उपस्थिति में सहस्त्रबाहु अर्जुन की जयंती को हर्षोल्लास से मनाया!
कार्यक्रम को संभोधित करते हुए श्री शंकर लाल जी राय, भोपाल ने अपने उद्बबोधन में भगवान् सहस्त्रबाहु अर्जुन जी के विषय में बताया कि वाल्मीकि रामायण में इनका वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, श्री सहस्रार्जुन का जन्म कलचुरि वंश की कुल राजधानी “महिष्मती” (महेश्वर, जो जिला खरगोन मध्यप्रदेश में स्थित है) में हुआ था। विष्णु परंपरा के अनुसार पौराणिक वंशावली में भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न होते हैं, ब्रह्मा जी के नौ मानस पुत्रों में से एक मानस पुत्र महर्षि अत्रि व उनकी पत्नी महासती उत्तर अनुसुईया से बंद होते हैं, जिनसे “चंद्रवंश” चलता है जिसे सोमवंश भी कहते है। चंद्र व तारा से बुध, बुध व इला से महाप्रतापी राजा पुरुरवा उत्पन्न होते हैं। पुरूरवा व उर्वशी से आयु, आयु से नहुष और नहुष से ययाति उत्पन्न होते हैं। ययाति के पुत्र यदु, यदु के पुत्र सहस्त्रजीत (सहस्वाद) होते हैं, सहस्त्रजीत से सतजीत उनसे। “हैहय” का जन्म (अश्विन शुक्ल प्रचमा दिन शनिवार को, जिनसे । “हैहय वंश” आरंभ होता है, हैहय भगवान शंकर के अंश अवतार ये) हुआ व कई पीढ़ियों बाद महिष्मान होते हैं महिष्मान की कई पीढ़ियों बाद कनक या धनद होते हैं, जिनके पुत्र कृतवीर्य व महारानी पद्मिनी से ‘श्री सहस्रार्जुन’ उत्पन्न होते हैं, जिनसे कलचुरि वंश आरंभ होता है।
श्री सहस्रार्जुन के पिता जी का नाम पवर्ती सम्राट कृतवीर्य था. इनके नाम के कारण मृत्युग’ को “कृतयुग’ भी कहा जाता है। कृतवीर्य के पिता जी महाराजा कनक (घनद) ये ।।
श्री सहस्रार्जुन की माता श्री के विषय में अनेक मत है लेकिन अधिक मान्य माताश्री का नाम सरना देवी (ओ अपने शीत गुणों व सौन्दर्य के कारण पदिमनी कहलाती थी है, जो सत्यवादी महाराजा हरिशचना की पुत्री थी।
सहस्रार्जुन की पत्नि का नाम महारानी मनोरमा था।
प्राचीन काल में महिष्मती (वर्तमान महेश्वर) नगर के राजा कार्तवीर्य अर्जुन थे। उन्होंने भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को प्रसन्न कर वरदान में उनसे 1 हजार भुजाएं मांग ली। इससे उसका नाम सहस्त्रबाहु अर्जुन हो गया।
- सहस्त्रबाहू अर्जुन से जुड़ी खास बातें
एक बार रावण सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से उनके नगर गया। नर्मदा की जलधारा देखकर रावण ने वहां भगवान शिव का पूजन करने का विचार किया।
- जिस स्थान पर रावण पूजा कर रहा था, वहां से थोड़ी दूर सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी पत्नियों के साथ जलक्रीड़ा में मग्न था। अर्जुन ने खेल ही खेल में अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया।
- जब रावण ने ये देखा तो उसने अपने सैनिकों को इसका कारण जानने के लिए भेजा। सैनिकों ने रावण को पूरी बात बता दी। रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा।
- नर्मदा के तट पर ही रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ। अंत में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को बंदी बना लिया।
- जब यह बात रावण के पितामह (दादा) पुलस्त्य मुनि को पता चली तो वे सहस्त्रबाहु अर्जुन से रावण को छोडऩे के लिए निवेदन किया। सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ दिया और उससे मित्रता कर ली।
महाभारत के अनुसार, एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी सेना सहित जंगल से गुजर रहा था। उस जंगल में ऋषि जमदग्नि का आश्रम था।
- सहस्त्रबाहु ऋषि जमदग्नि के आश्रम में थोड़ी देर आराम करने के लिए इच्छा से रूक गया। ऋषि जमदग्नि के पास कामधेनु गाय थी, जो सभी इच्छाएं पूरी करती थी। उसकी
- सहायता से ऋषि जमदग्नि ने सहस्त्रबाहु और उसके सैनिकों का राजसी स्वागत किया। कामधेनु का चमत्कार देखकर सहस्त्रबाहु बलपूर्वक उसे अपने साथ ले गया।
- उस समय आश्रम में ऋषि जमदग्नि के पुत्र परशुराम नहीं थे। परशुराम जब आश्रम में आए, तो उन्हें सहस्त्रबाहु अर्जुन के अत्याचार के बारे में पता चला।
- यह सुनकरपरशुराम क्रोधित हो उठे। वे कंधे पर अपना परशु रखकर माहिष्मती की ओर चल पड़े।
सहस्त्रबाहु अभी माहिष्मती के मार्ग में ही था, कि परशुराम उसके पास जा पहुंचे। सहस्त्रबाहु ने जब यह देखा के परशुराम उनसे युद्ध करने आ रहे हैं तो उसने उनका सामना करने के लिए अपनी सेनाएं खड़ी कर दीं।
- परशुराम ने अकेले ही सहस्त्रबाहु की पूरी सेना का सफाया कर दिया। अंत में स्वयं सहस्त्रबाहु परशुराम से युद्ध करने के लिए आया। परशुराम ने उसके हजार भुजाओं को अपने फरसे से काट डाला और सहस्त्रबाहु अर्जुन का वध कर दिया।
- इस घटना का प्रतिशोध लेने के लिए सहस्त्रबाहु अर्जुन के पुत्रों ने बाद में ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया। अपने निर्दोष पिता की हत्या से क्रोधित होकर परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहिन कर दिया था।